आध्यात्मिक साधनाएँ

₹ 380.00
ISBN10: 9788196984144
ISBN13: 9788196984144
Insights:
आध्यात्मिक साधनाओं के बारेमें स्वामीजी ने अपने सरल और सुमधुर वाणी में जो सत्संग दिये हैं, उनको एकत्रित करके संक्षिप्त स्वरुप में आप तक लाने की यह कोशिश है
आध्यात्मिक साधना की प्रक्रियाओं को समझाते हुए स्वामीजी कहते हैं, ज्ञान पाने के लिए आपकी इच्छा ही सबसे महान शक्ति है| जब तक आप द्वार नहीं खोलेंगे, प्रकाश अंदर नहीं आयेगा| प्रभु ने सब कुछ दिया है, कमियाँ अगर हैं, वह आप में हैं| अगर आपकी प्रबल इच्छा हो, तो परमात्मा ज़रूर सहायता करेगा| अगर आतंरिक इच्छा से अभ्यास करो, साधना करो, तो संसार में कुछ भी असंभव नहीं| आपकी बहुत सारी शक्ति फिज़ूल इच्छाओं में व्यर्थ जाती है| वैराग्य याने इन फिज़ूल इच्छाओं का त्याग करना| गुरुदेव आगे समझाते हैं - जो एकाग्र चित्त होता है, वही सिद्धि प्राप्त करता है; और जब तक पूर्ण इच्छाशक्ति नहीं होगी, एकाग्रता नहीं आयेगी| स्वामीजी पूछते हैं, संसार की बातों में कैसे मन जुट जाता है? क्यों कि वहाँ हमारी इच्छा है| दोष आपका ही है| करनेवाले को सब संभव है| जब लगन लगेगी तो आंतरिक शक्ति खुलेगी| अभ्यास, साधना करते रहो, एक ना एक दिन लाभ मिलेगा| 'क्या बूढ़ा शरीर आध्यात्मिक साधनायें कर सकता है ?' गुरुदेव इसका भी उत्तर देते हैं - शरीर बूढ़ा हो जाता है, जब आप की प्राणशक्ति कम हो जाती है| उसका आपकी आयु से कोई संबंध नहीं| च्यवन जैसे महान ऋषि ने अपनी आध्यात्मिक साधना अस्सी बरस की आयु में शुरू की| गुरुदेव आगे कहते हैं, आध्यात्मिक साधना में अहं को छोड़ना पड़ता है| अहं ही प्राणशक्ति का विनाश करता है| हमारी कमज़ोरी का कारण अहं ही है| अहं अपने को बचाने के लिए शंका करता है| शंका रोग है; वह आपको आध्यात्म मार्ग पर आगे बढ़ने नहीं देगी| शंका कमज़ोरी लाती है, तो श्रद्धा शक्ति| आध्यात्मिक साधना में श्रद्धा अनिवार्य है| श्रद्धावान लभते ज्ञानं|
Publisher: Anand Niketan Trust
Language: Hindi
No. of Pages: 140
Weight: 450.00 Gms
Dimension: 18.50 * 1.00 13.50 CM
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