हिमालय की आत्मा - एक सत्यान्वेषक की कहानी

ISBN10: 9788190000802

ISBN13: 9788190000802

Insights:

यह कहानी सत्य की खोज में निकले एक युवा साधक की है| पूर्ण सत्य का अविष्कार जिसे हुआ है, वही व्यक्ति इतनी सरल भाषा में सत्यकाम के इस सफर का वर्णन कर सकती है| स्वामी अमर ज्योति ने कहा है, सत्य की खोज़ के लिए हिमालय ज़रूरी नहीं है| तथापि हिमालय की मनोहारी सुंदरता इस कहानी को और रोचक बना देती है|

हिमालय की आत्मायह सत्यकाम नामक एक युवा साधक की कहानी है, जो सत्य की खोज में निकला है। कहानी के पहले चरण में वह अपने जन्मजन्मांतर के गुरु से मिलता है| गुरुजी सत्यकाम को उसके बीते जन्मों, और की हुई साधना के बारे में याद दिलाते हैं। हिमालय स्थित सरस्वती कुंड तक का गुरु-शिष्य का प्रवास अत्यंत मनोहारी है। उस कुंड में तैरते हुए दो सफेद हंसों का रूप धारण किए शिव और दुर्गा का दर्शन वाचकों के लिए भी रोमांचकारी है। कुछ काल गुरु के सानिध्य में तपस्या करने के बाद, गुरुजी उसे अगली यात्रा की आज्ञा देते हैं। यह प्रवास सत्यकाम को अकेले करना है, अपने पीछले जनम का बचा थोड़ा कर्म पूरा करने के लिए। गुरुजी उसे आश्वस्त करते हैं कि उचित समय पर और उचित स्थान पर, जब आवश्यकता होगी, तब वह उपस्थित हो जाएंगे।

आगे की कहानी स्वामी अमर ज्योति के शब्दों में पढिये|

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